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याहा मोगी माता, देवमोगरा माता सचित्र कहाणी: Devmogra Mata Kahani History

याहा मोगी माता | देवमोगरा माता सचित्र कहाणी | Devmogra Mata Kahani History | मा PANDURY YAHA MOGI MATA | 


याहा मोगी माता, देवमोगरा माता सचित्र कहाणी: Devmogra Mata Kahani History- मा PANDURY YAHA MOGI MATA
Yaha Mogi Devmogra Mata Photo याहा मोगी माता, देवमोगरा माता सचित्र कहाणी

             Devmogra Mata Kahani: याहा मोगी तीर्थस्थल सातपुडांचल में आया पवित्र स्थल है। आदिवासियों की कुलदेवता याहा मोगी माता का यात्रोत्सव मार्च-अप्रैल महिने में महाशिवरात्रि के पावन पर्व पर सतपुडा की सुरम्य वादियों में स्थित देवमोगरा माता के भव्य मंदिर (तह. सागबारा जि. नर्मदा, गुजरात) में होता है। यह लेख स्थानीक लोगों, मंदिर संचालक और याहामोगी के भक्तों से मीलकर माहिती एकत्र करके  संशोधन के आधार पर तैयार किया गया लेख है।


मा देवमोगरा माता का इतिहास | History of Devmogra Mata |


           आज से डेढ हजार वर्ष पूर्व आजके अक्कलकुवा तहसील (जि. नंदूरबार, महाराष्ट्र) के पहाडी क्षेत्र में आदिवासी राजाओंका राज्य था। उसे दाबकहा जाता था। (आज भी वह परिसर हेलोदाबनाम से पहचाना जाता है और इस परिसर में दाबनामका एक गांव भी है) वे राजा दाब्ले (दाब के राजा) नामसे परिचित थे। दाब राज्य के परिसर में स्थित आदिवासी जनजातियों के मुखियाओं को एकत्रित लाकर उन्होने इस क्षेत्र में बडा राज्य स्थापित किया, उसे दाब मंडलकहते थे। Yaha Mogi Devmogra Mata Photo


        आदिवासी जनजातियों के मुखियाओं के अधिकार में जो भाग रहा है, उसे पाटीकह्ते थे। दाबके उत्तर दिशामें नोयरा पाटी’, पूर्वमें निंबाडी पाटीपश्चिममें आंबुडा पाटीएवंदुबळा पाटीदक्षिणमें देह पाटीएवं मावचार पाटीआदि विभागोंसे मिलकर दाब मंडल राज्य बना था। इस दाब मंडलमें नाहल, निंबाडी, आंबुडा (वसावा), दुबळा, देहवाव्या, मावची जैसी आदिवासी जनजातियों के लोग बसे थे। इन विभागों में प्रत्येक जातिका एक मुखिया था।


याहा मोगी माता, देवमोगरा माता सचित्र कहाणी: Devmogra Mata Kahani History- मा PANDURY YAHA MOGI MATA
देवमोगरा माता पवित्र स्नान ले जाते वक्त- सागबारा गुजरात  Yaha Mogi Devmogra Mata Photo HD

        दाबमंडल के पश्चिम भाग के आंबुडापाटी का प्रमुख राजा तारहामल था। उसके राज्य का संचालन घाणीखुंट गांवसे चलता था। इसे घाणीखुंटका राज्यभी कहते थे। राजा तारहामल तथा रानी उमरावाणू को एकमात्र पुत्र था, उसका नाम था-राजापांठा। वह अतिशय बलवान तथा अस्त्र-शस्त्र विद्याओंमें प्रवीण था। उसकी मॉं  तंत्र-मंत्र विद्याकी जानकार मानी जाती है। उसने राजापांठा को आत्मरक्षण हेतु यह विद्या सिखायी। आगे राजापांठा दयालु, स्नेही एवं प्रजाहितैषी के रुपमें सुविख्यात हुआ. वह अपने राज्य के दीन-हीन, गरीब लोगों की हमेशा मदद करता था, मुसीबत में फँसे लोगों की सहायता के लिए तत्पर रहता था।


            राजापांठा को नौ रानियां थी। पटरानी देवरुपन जो कि, राजा कोठार्‍याकी पुत्री थी। याहामोगी उसकी दुसरी पटरानी थी और दाबका राजा बाहागोर्‍या व रानी देवगोंदर की मानस पुत्री थी। बाहागोर्‍या व देवगोंदर को एक पुत्र था, जो विना देव, विना ठाकोर या गांडा ठाकोर के नाम से पहचाना जाता था। Yaha Mogi Devmogra Mata Photo


          राजापांठा तथा विना ठाकोर दोनों आत्मीय मित्र थे। एक-दूसरे के बहनोई होने के कारण और जानी दोस्त होने के कारण वे बेनीहेजाहाअथवा जांगजोड बेनीहेजाहाके रुपमें परिचित थे। दोनों अत्यंत सामर्थ्यवान एवं बुद्धिमान होने के कारण दाबके राजाने उनपर संपूर्ण दाबमंडल के देखरेख की जिम्मेदारी सौंपी थी। राजापांठा व गांडा ठाकोर कभी दाब के राजा हुए नही, परंतु आजीवन राजा द्वारा सौंपी गई जिम्मेदारी पुरी निष्ठा, ईमानदारी एवं तत्परता से निभाई, ऐसा उल्लेख याहामोगी की कथा में मिलता है।


याहा मोगी माता, देवमोगरा माता सचित्र कहाणी: Devmogra Mata Kahani History- मा PANDURY YAHA MOGI MATA
राजा पांठा, विना ठाकोर व देवमोगरा माता  photo

            परिसर में याहामोगी को लेकर बहुत सारी कथाएं प्रचलित है, उसमें से एक कथा में यह उल्लेख मिलता है कि, याहामोगी दाबमंडल के मावचार पाटीके एक धनी आदिवासी किसान की सात बेटियों में चौथे क्रमांक की थी और बहुत सुंदर थी। उसके अप्रतिम सौंदर्य के कारण लोग बडी बहनों की बजाएं याहामोगी से विवाह की बात करते। याहामोगी के कारण उनका विवाह नही हो रहा यह मानकर बडी बहनें उससे झगडा करती और कोसती है। उसके घरमें रहते बडी बहनों का विवाह नही होगा, यह विचार करके उसने एकदिन अचानक माता-पिता का घर त्यागकर घने और बीहड जंगलों से होते हुए उत्तर की ओर निकल पडी। Yaha Mogi Devmogra Mata Photo


              उस समय वहॉं के क्षेत्र में भयंकर अकाल पडा था। बरसात न होने के कारण फसलें नही आई। लोगोंको अनाज मिलना मुश्किल हो गया था। जंगल के कंदमुल खाकर गुजर-बसर करने की नौबत आ गई थी। लोग समूह बनाकर कंदमूल की खोजमें जंगलों मे भटकते थे। याहामोगी ऐसे एक समूह के साथ दर-दर भटकते हुए, विविध मुसीबतों का सामना करते हुए सतपुडा के पहाडों में आ पहुंची। यह अकाल बारह वर्षोका था, इसकारण से जंगल के कंदमूल भी नष्ट हो गये थे। समूह के कई लोग भूखमरी एवं बीमारियों के कारण कालकवलित हो गए। याहामोगी दाबके जंगलोंमें एक पेड के नीचे भूखी एवं मरणासन्न स्थितिमें पडी थी, तब शिकार के लिए आए दाब के राजाको वहां पाई गई. उसे घर ले आए।


याहा मोगी माता, देवमोगरा माता सचित्र कहाणी: Devmogra Mata Kahani History- मा PANDURY YAHA MOGI MATA
देवमोगरा माता जंगल सागबारा गुजरात 

          राजा बाहागोर्‍या व रानी देवगोंदर ने उसका अपनी कोख की बेटी के समान लालन-पालन किया। उसे यहां से वापस नही भेजें, इसलिए उसने अपने अतीत की हकीकत राजा को नही बतायी। अतः जंगल में पाई गई अनाथ लडकी का लालन-पालन किया इसलिए याहामोगी का नाम पोहली पांढर’(पालिता) पडा। वह पोहली पांढरया याहा पांढरनामसे सुविख्यात हुई। Yaha Mogi Devmogra Mata Photo


              याहा मोगी बालिग होने पर राजापांठाने उससे विवाह का प्रस्ताव रखा। परंतु राजापांठाको पहले से ही आठ रानियां होनेपर भी वह केवल के सौंदर्य पर मोहित होकर विवाह करना चाहता है, यह जानकर याहामोगीने बतौर घरजमाई के दाबके राजाके यहां रहने की शर्त राजापांठाके समक्ष रखी। राजापांठाने यह शर्त स्विकार कर ली और सात वर्ष तक घरजमाई बनकर रहा।


           सात वर्षकी सेवाविवाहकी अवधि समाप्त हो जानेपर राजापांठाने अपने पिताके राज्यमें जाना निश्चित किया। परंतु घरमें आठ रानियां होते हुए दाबके राजाके यहां घरजमाई के रुपमें रहने और अपनेही घरमें कलह का कारण बनने के कारण राजा तारहामलने संतप्त होकर राजापांठा और याहामोगीको घरमें प्रवेश देनेसे मना कर दिया।(अनैतिक संबंधों की सामाजिक अस्वीकृति भी भील समाज की परंपरा होने का यह उदाहरण है।) जिसके कारण दाब छोडनेपर दोनों कई कष्ट सहते हुए जंगलों में भटकते  रहे और बादमें एक व्यक्‍तिसे जमीन खरीदकर देवमोगरागॉंव बसाकर वहां रहने लगे। जहांपर प्रतिवर्ष महाशिवरात्रिके पावन पर्वपर मेला लगता है। Yaha Mogi Devmogra Mata Photo


याहा मोगी माता, देवमोगरा माता सचित्र कहाणी: Devmogra Mata Kahani History- मा PANDURY YAHA MOGI MATA
देवमोगरा माता मंदिर- सागबारा गुजरात Yaha Mogi Devmogra Mata Photo

         याहामोगीके राजापांठाकी पटरानी बन जानेके बावजुद उसके कष्ट कम नही हुए। राजापांठाकी बाकी रानियां भी देवमोगरा रहने आ गई।(स्त्री के पति के प्रति श्रद्धा का उदाहरण है ये की पूर्व काल में विवाह सिर्फ एक बार होता था चाहे कुछ भी हो बहुपत्नी प्रथा थी पर ईससे उलटा नहीं...कहते भी है "वोराड एक वारीं वेहे घेडी घेडी थोडोंज वे हे") सौतियाडाह के कारण परिवार में कलह पैदा हो गया। तब याहामोगीने पतिसे एक छोटी सी कुटिया बनवाकर वहां अकेली ही रहने लगी।

              बारह वर्षके भीषण अकाल के कारण दाब राज्यके लोगोंकी गाय-बैल आदि मर गए। लोग अन्न को तरसते थे, भूखमरी के  कारण कई लोग मारे गए, कई अपना घरभार छोडकर अन्यत्र चले गए। दाब राज्य उजाड होने लगा था। तब याहामोगी बडी हिम्मत के साथ गुजरीमास के गवळी राज्य में जाकर राजापांठा, विना ठाकोर, राजा वाघणमल तथा धामणमल की मदद से पर्याप्त अनाज एवं पशुधन दाब राज्यमें ले आई। दाबके भूखमरी से पीडित लोगों को अनाज एवं पशुधन उपलब्ध करवाया। अकालके दिनोंमें याहामोगी के इस उद्दात्त एवं मानवता से ओतप्रोत कार्य के लिए लोग उन्हे याहा’ (मॉं, लोकमाता) मानने लगे। यह कार्य तत्कालीन जरूरीयात के अनुसार बहुत बडा समाज सेवा या चमत्कार से कुछ कम नहीं था। Yaha Mogi Devmogra Mata Photo



याहा मोगी माता, देवमोगरा माता सचित्र कहाणी: Devmogra Mata Kahani History- मा PANDURY YAHA MOGI MATA
देवमोगरा माता दर्शन सागबारा गुजरात याहा मोगी दर्शन Yaha Mogi Devmogra Mata Photo

                     याहामोगी के देहावसान के बाद उनके संम्मान में राजापांठा और विना ठाकोर उनकी सोने के मूर्ति बनवाकर मंदिर जैसी कुटीर में मिट्टी की कोठी(कुठला) में स्‍थापना की। यह एक ऐतिहासिक प्रमाण है की आदिवासी समाज सिर्फ प्रकृति पुजक न होकर मूर्ति पुजक भी है। तभी तो हजारों साल पहले राजापांठा और विना ठाकुर ने याहामोगी की मूर्ति बनाई। इस परिसर में उस समय कई आक्रमण हुए। आक्रमणकारियों से मूर्ति को बचाएं रखने के लिए राजापांठाके वंशजोंने मूर्ति जमीन में छुपा दी।

              सागबारा (जि. नर्मदा, गुजरात) रियासत के मूल पुरुष चंपाजी वसावा को यह मूर्ति सागबारा के घने जंगलों में प्राप्त हुई। उन्होने पारंपरिक पद्धतिसे मूर्तिकी स्थापना छोटी सी कुटीर मंदिर जैसा बनाके हिंदू महोत्सव महाशिवरात्रि के दिन संजोगावसात किया। आगे प्रतिवर्ष पावन पर्व महाशिवरात्रि पर पारंपरिक पद्दतिसे पूजा-आराधना होने लगी और सागबारा के राजाओंने यहां प्रतिवर्ष हिंदू पर्व महाशिवरात्रि पर मेले का अयोजन करना निश्चित किया गया। अब यह निरंतर आयोजित हो रहा है।


          इसतरह से यहां याहामोगी की कथा प्रचलित है। परंतु यह कथा यहींपर समाप्त नहीं हो जाती है। याहामोगी की कथाको केंद्रमें रखकर इसमें अनेक कथाओंका समावेश करके एक प्रदीर्घकथा तैयार की गई है। जिसमें राजा गिंब, राजा सिडगोवा, राणी पटूली, दोधा वजीर, गवली राजा, पोहला पोमरा, काला वेडया, राजा आगीवाल, राणी देवरुपनका वनवास, खोड्यादेव आदि अन्य कथाओंका समावेश उसमें है और ये कथाएं अत्यंत मनोरंजक, बोधप्रद एवं करुणरसपूर्ण है।


याहा मोगी माता, देवमोगरा माता सचित्र कहाणी: Devmogra Mata Kahani History- मा PANDURY YAHA MOGI MATA
देवमोगरा माता नवस पूजन करते भक्त - सागबारा गुजरात Yaha Mogi Devmogra Mata Photo

       इन कथाओंमें प्राचीन दाबमंडल के आदिवासी राज्यका प्रतिबिंब लक्षित होता ह।  बहुपत्नीत्व की प्रथा, पंच पद्धति आदि सामाजिक वैशिष्ट्यों की जानकारी इन कथाओंसे मिलती है। महूए के फुलों से शराब बनाने की कला भी उस समय लोगोंको ज्ञात थी। तत्कालीन आदिवासी समाजमें सेवाविवाह’ "घर जमाई"की प्रथा होने की जानकारी इन कथाओं में मिलती है।


             भील मानें आज का आदिवासी समाज मूर्ति पुंजक होने का प्रमाण भी मिलता है आदिवासी समाज का राजापांठा और विना ठाकुर ने सोने की मूर्ति बनवाकर आदिवासी समाज की कला का ऐतिहासिक प्रमाण दिया है। उपरांत मामा मामी के लडका लडकी के बीच विवाह की परंपरा का भी परीचय मिलता है।  सतपुडांचल में प्रचलित गव्हाणपूजन’ (जिसमें गाय और बैल के रहने की जगह को पुंजते है।)की प्रथा उससमय भी थी।


         देवमोगरा माता कथाओं अन्य पात्र | Yaha Mogi Storys Diffrent Charecters |


           याहामोगी कथामें अनोखे व्यक्तित्ववाले चरित्र मिलते है. दाबके जंगल में पशुपक्षियों की भाषा जाननेवाला राजा सिडगोवा, सदा खानेकी ही बात करनेवाला और एकसाथ मटका भरकर दही पिनेवाला दोधा वजीर, स्त्री की वेशभूषा धारण करके गुनाहगारोंको सजा देनेवाला विना ठाकोर, बारह वर्ष के भीषण अकाल में अपने भंडार का सारा अनाज गरिबोंमें बॉंटनेवाला बाहागोर्‍या तथा अपनी धर्म पत्नी की खोज के लिए लेखारी और जोखारी के सामने अन्न सत्याग्रह करनेवाला राजा गिंब आदि चरित्रोंकी जानकारी मिलती है.


देवमोगरा माता सचित्र कहानी मराठी- गुजराथी >>> Full Stoty Yaha Mogi Mata Kahani Darshan !..


याहा मोगी माता, देवमोगरा माता सचित्र कहाणी: Devmogra Mata Kahani History- मा PANDURY YAHA MOGI MATA
याहा मोगी माता की हजारो साल पहले की मूर्ति आज मंदिर मै विराजित है Yaha Mogi Devmogra Mata Photo

दाब मंडल का चुनाव | Dab Mandal Elected Election


          एक और प्रथा की जानकारी मिलती है वह यह कि, दाबमंडल के राज्यके पंचों द्वारा राजाका चुनाव. दाबमंडलके सभी पाटियोंके (विभागोंके) मुखिया हिंदू त्योहार  दशहरे के दिन कोसदाब’(मुख्यदाब) में एक सभा का आयोजन करते, उसेमलहोबा सभा’(राजाओंकी सभा) कहा जाता था। सभामें दाबमंडलके प्रमुख पंच प्रजाके हित के प्रस्ताव पारित करते और सभी की सहमतिसे निश्चित अवधि के लिए राजा का चयन करते। अन्यायी राजाको तुरंत पदसे हटा दिया जाता था।


       दाबमंडल के राज्यमें राजा कोलपासू, बाहागोर्‍या, मोरोपदेव, राजा तारहामल, बानोरवासदेव आदि प्रसिद्ध राजा हो गए है। जो राजाके रुपमें कार्य करता है उसे बादमें दाबमंडलकी दूसरी बडी जिम्मेदारी सौंपी जाती थी। कथाओसे पता चलता है कि, राजा सिडगोवा पर यातायात के मार्गपर चुंगी वसुलीका प्रमुख तथा बाहागोर्‍याको दाबमंडलका कोठारप्रमुख(भंडारी) नियुक्त किया गया था। राजापांठा और विना ठाकोर अत्यंत सामर्थ्यवान एवं बुद्धिमान होनेके कारण उनपर संपूर्ण दाबमंडल के देखरेखकी और सुरक्षा की बडी जिम्मेदारी सौंपी गई थी।


याहा मोगी माता, देवमोगरा माता सचित्र कहाणी: Devmogra Mata Kahani History- मा PANDURY YAHA MOGI MATA
राहुल गांधी मा याहा मोगी माता का दर्शन लेते हुवे- सागबारा गुजरात Yaha Mogi Devmogra Mata Photo

याहा मोगी माता- देवमोगरा माता अन्न की देवी | Devmogra Mata Known as Devotions of Foods


        याहामोगी माता अन्न की देवी है ईसलिए उसे कोणी (अन्न) याहा (माता) भी कहते है। खेत में जो भी फसल हो उसे याहामोगी माता को चडाने के बाद ही खाते है। उस परंपरा को "नोवें वेरूलो" कहते है। ईस तरह याहामोगी दयालु कृपालु होनेके कारण हजारो लोग दर्शन कृपा पाकर धन्य होतें है आप भी सह परिवार आमंत्रित हैं। Yaha Mogi Devmogra Mata Photo


Yaha Mogi Devmogra Mata- Video Darshan >> विडियो देखे >>> देवमोगरा दर्शन संपूर्ण कहानी

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